गांवों की सरकार चुनने के संबंध में जागरूकता दिखाए


गांवों की सरकार चुनने के संबंध में जागरूकता दिखाए
पहले तो ये ध्यान करो की आपकी जो वर्तमान पंचायत है, उसके वर्तमान सरपंच ने गांव में कितनी बार आम सभा की जिसमें गांव के सभी नागरिकों को बुलाकर, सामूहिक चर्चा, आम सहमति से कोई प्रस्ताव लिया गया हो?? 
मेरा मानना है कि ऐक भी नहीं। 
हर ग्राम पंचायत के सरपंच को 26 जनवरी व 15 अगस्त को दो आमसभा करनी अनिवार्य होती है..... लेकिन आमजन में जागरूकता न होने की वजह से ये सिर्फ खानापूर्ती तक सीमित रहती है। 
अब मुद्दे की बात। 
जिस तरह केन्द्र सरकार व राज्य सरकार अपनी कैबिनेट मीटिंग बुलाकर नीतिगत फैसले लेते हैं, विधानसभा संसद में चर्चा होती है, जिला परिषद् सदस्य अपनी बैठक करते हैं, पंचायत समिती सदस्य मीटिंग करते हैं.... उस तरह की गांवों की सरकार में कोई मीटिंग बैठक नहीं होती 
लेकिन गांव के सरपंच को अपने सभी वार्डपंचों व गांव के सभी नागरिकों को पूर्व सूचना देकर.... तयशुदा दिन को गांव की आमसभा की मीटिंग रखनी चाहिए। 
जिसमें गांव के कौनसे विकास कार्य करवाने है, कौनसे विकास कार्य अधुरे हैं, गांव की जनता के लिए क्या समस्या है.... उन पर सामूहिक चर्चा होनी चाहिए तथा आमसहमती से प्रस्ताव लेना चाहिए। 
दुसरी बात गांव की सरकार के ऐक साल पुरा होने पर, समस्त नागरिकों को बुलाकर साल भर में किऐ गए विकास कार्यों का ब्योरा जनता के बीच रखना चाहिए तथा ऐक ओडिट लिस्ट रखनी चाहिए कि इतने रुपये का बजट आया है, इतना खर्च कर दिया है ओर इतने रुपये यहाँ खर्च करने हैं। 
सभी गांवों के सभी युवा साथियों व नागरिकों  से निवेदन है की सिर्फ जाती धर्म के आधार पर सरपंच न चुनें 
बल्कि ऐसे आदमी को सरपंच चुनें जो गांव के लिए पार्दशिता के साथ विकास कार्य कर सके तथा गांव के सभी वाशिंदो को विश्वास में लेकर, सबको अवगत कराते हुऐ विकास कार्य करवा सके। 


सरपंच का पद कोई बेरोजगार को रोजगार देने वाला पद नहीं है बल्कि ऐक गांव का वो मुखिया चुनने जा रहे हैं जो पुरे गांव को ऐक परिवार समझकर सबका विश्वास लेकर सबका विकास करवा सके। 
आगामी महीने में गांवों की सरकार चुनी जाऐगी, उसके लिए मैं social media के माध्यम से युवा साथियों से विनम्र अपील करना चाहता हूँ की गांव की भलाई के लिए ऐक मजबूत शख्स को सरपंच चुनने के लिए आप जागरुकता फैलाऐं। 
आप जागरूकता के माध्यम से सरपंच बनने के ख्वाब देखने वालों को विवश करें कि वो मुद्दों पर बात करे, विकास कार्यों पर बात करें न कि जाती धर्म देखकर अपना सरपंच चुनने की पुरानी प्रथा चलाऐं। 


हमेशा यही होता आया है कि जो बहुसंख्यक है, जाति विशेष की संख्या बल ज्यादा है वो सरपंच बन जाता है 
लेकिन 
अब भारत युवाओं का देश है, 21 वीं सदी का भारत है, अब जो काम की बात करेगा, विकास कार्य करवाऐगा, सबको साथ लेकर चलेगा, विकास कार्यों का लेखा जोखा सामने रखेगा ,सामूहिक चर्चा करेगा..... वो ही सरपंच बनेगा। 
युवाओं की सोच व बुजुर्गों का विश्वास साथ मिलकर ऐक योग्य शिक्षित जिम्मेदार इमानदार मेहनतकश नागरिक को गांव का प्रथम नागरिक चुनने की लोकतांत्रिक व सामाजिक पहल करें। 


आओ हम सब मिलकर गांवों की सरकार चुनने से पहले आमजन को जागरूक करें, आमजन के हकों की पहचान सबके सामने रखें। 
जय हिंद
अराब समानी जोधपुर सवांददाता