महिलाओं ने राष्ट्रपिता को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए अपना सत्याग्रह जारी रखा-
लखनऊ । हर साल आज ही के दिन महात्मा गांधी को याद करते हुए देश भर में लोग श्रृद्धांजली अर्पित करते है, 30 जनवरी 1948 की शाम को नई दिल्ली स्थित बिड़ला भवन में गोली मारकर उन्हें शहीद किया गया था, 30 जनवरी 1948 की शाम को जब संध्याकालीन प्रार्थना के लिए जा रहे थे तभी नाथूराम गोडसे ने पहले उनके पैर छुए और फिर सामने से उन पर बैरेटा पिस्तौल से तीन गोलियाँ दाग दीं, नाथूराम गोडसे सहित आठ लोगों को हत्या की साजिश में आरोपी बनाया गया, इन आठ लोगों में से तीन आरोपी शंकर किस्तैया, दिगम्बर बड़गे, वीर सावरकर, में से दिगम्बर बड़गे को सरकारी गवाह बनने के कारण बरी कर दिया गया, शंकर किस्तैया को उच्च न्यायालय में अपील करने पर माफ कर दिया गया। वीर सावरकर के खिलाफ़ कोई सबूत नहीं मिलने की वजह से अदालत ने जुर्म से मुक्त कर दिया। जबसे गांधीजी की याद में हर साल पूरे देश में उनकी पुण्यतिथि मनाई जाती है इसी तरह गांधीजी को याद करते हुए लखनऊ के घंटाघर पर महात्मा गांधी की पुण्यतिथि के दिन एक बड़ी तादात के साथ महिलाओं ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए 2 मिनट का मौन रखा और मोमबत्तियां जलाई, महात्मा गांधी की पुण्य तिथि के अवसर पर धरने पर बैठी महिलाओ ने एक दिन का उपवास भी रखा, महिलाओं ने घंटाघर के मैदान मे गांधी जी की तस्वीरे अपने हाथो मे लेकर पुण्य तिथि पर देश भक्ति गीत और भजन गाए, और ज़मीन पर फूंलो से महात्मा गांधी का नाम लिखा गया, एक दिन के उपवास पर बैठी महिलाओ ने नारे लगाया कि गांधी हम शर्मिन्दा है तेरे कातिल ज़िन्दा है, अमन के रख्वाले हम एक है जु़ल्म से लड़ने वाले हम एक है इसके अलावा भी कई देश भक्ति और देश की एकता को ताकत देने वाले गीत गाए गए। इसके साथ ही शांतिपूर्ण आंदोलन जारी रखते हुए नागरिक संशोधन और एनआरसी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी रखा । पूरा विश्व जानता है कि महात्मा गांधी ने अहिंसा के मार्ग पर चलकर ही इस देश को आजादी दिलाई थी, अहिंसा के मार्ग पर शांतिपूर्वक सत्याग्रह आंदोलन का आगाज किया था और आज साफतौर पर देखा जा सकता है कि देश की अधिकतर आबादी नागरिकता कानून के खिलाफ शांतिपूर्ण तरीके से सत्याग्रह कर रही है इनमें खास तौर से महिलाओं ने नागरिकता कानून और एनआरसी के खिलाफ एक मुहिम छेड़कर गांधी के रास्ते पर चलकर तिरंगा हाथो में लेकर, हिदुस्तान जिंदाबाद के नारे लगाते हुए आंदोलन करते दिखाई दे रही हैं ऐसे में देखना ये होगा कि क्या अहिंसा पर शांतिपूर्ण सत्याग्रह करने वालो की जीत होती है या नही ।
रिपोर्ट @ आफाक अहमद मंसूरी