अमेरिका ने भारत में धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर जताई चिंता।


 


अमेरिका ने भारत में धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर जताई चिंता।


भारत में धार्मिक स्वतंत्रता की हालिया स्थिति पर अमेरिका की चिंता


अमेरिकी अधिकारी ने भारतीय अधिकारियों के सामने उठाया मुद्दा


अमेरिका ने भारत में धार्मिक स्वतंत्रता की मौजूदा स्थिति पर चिंता व्यक्त की है और इस मुद्दे को भारतीय अधिकारियों के समक्ष उठाया है. यह जानकारी अमेरिका के एक वरिष्ठ अधिकारी ने अपने बयान में दी है. यह टिप्पणी नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ पूरे भारत में व्यापक विरोध प्रदर्शनों के मद्देनजर की गई है.
अमेरिकी विदेश विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने अपना नाम न छापने की शर्त पर कहा कि उन्होंने भारतीय अधिकारियों के साथ बैठक की और भारत में जो कुछ हो रहा है उसपर चिंता व्यक्त की है।
हाल ही में भारत दौरे पर आए इस अधिकारी ने मीडिया से कहा, 'भारत में जो कुछ हो रहा है, उसे लेकर हम चिंतित हैं. मैंने भारतीय विदेश मंत्री से मुलाकात की. मैंने (अपनी चिंता व्यक्त करने के लिए) भारतीय राजदूत से भी मुलाकात की।'
अमेरिका ने इन मुद्दों पर मदद करने की इच्छा व्यक्त की है. उक्त अधिकारी ने कहा कि विदेश मंत्री माइक पॉम्पिओ ने 27 देशों का एक अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता गठबंधन भी लॉन्च किया है. उन्होंने कहा, 'ज्यादातर जगहों पर हमारा शुरुआती कदम यह होता है कि हम पूछते हैं कि किसी मुद्दे पर काम करने के लिए हम आपकी क्या मदद कर सकते हैं...'
उन्हें दी जा रही नागरिकता....
भारत का कहना है कि भारतीय संविधान अल्पसंख्यक समुदायों सहित अपने सभी नागरिकों को मौलिक अधिकारों की गारंटी देता है. भारतीय विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'यह व्यापक रूप से स्वीकार किया जाता है कि भारत एक जीवंत लोकतंत्र है जहां संविधान धार्मिक स्वतंत्रता का संरक्षण प्रदान करता है और जहां लोकतांत्रिक शासन और कानून का शासन मौलिक अधिकारों को आगे बढ़ाते हैं और उनकी रक्षा करते हैं.'
सीएए के मुताबिक, हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोग जो धार्मिक उत्पीड़न के चलते पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर, 2014 तक भारत आए हैं, उन्हें भारतीय नागरिकता दी जाएगी।
भारत सरकार इस बात पर जोर दे रही है कि नया कानून किसी को भी नागरिकता के अधिकार से वंचित नहीं करेगा, बल्कि यह कानून पड़ोसी देशों के उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों की रक्षा करने और उन्हें नागरिकता देने के लिए लाया गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले महीने सीएए का बचाव करते हुए कहा था कि यह कानून नागरिकता लेने के बारे में नहीं है, यह नागरिकता देने के बारे में है.
उन्होंने कहा, 'हम सभी को यह पता होना चाहिए कि दुनिया के किसी भी देश का कोई भी व्यक्ति जो भारत और उसके संविधान को मानता है, वह भारतीय नागरिकता के लिए तय प्रक्रिया से आवेदन कर सकता है. उसमें कोई समस्या नहीं है।'


रिपोर्ट@त्रिलोकी नाथ